रामवृक्ष बेनीपुरी के यात्रा वृत्तांत
उड़ता जा रहा हूँ!
प्राचीन ऋषियों ने कहा था—चरैवेति, चरैवेति—चलते चलो, चलते चलो। आधुनिक मानव कहता है—उड़ते चलो, उड़ते चलो। प्राचीन ऋषियों का कहना है—पृथ्वी चल रही है, चंद्रमा चल रहा है, सूर्यदेवता चल रहे हैं, इसलिए तुम भी चलते चलो, चलते चलो। आधुनिक मानव देखता है—पृथ्वी,
श्मशानभूमि और रंगभूमि
पेरिस 24/5/52 भाई मेहरअली ने अपनी अंतिम परिस-यात्रा के बाद मुलाक़ात होने पर उस श्मशानभूमि की चर्चा की थी; जहाँ सुप्रसिद्ध नाटककार मौलियर की क़ब्र है। तभी निर्णय कर चुका था, कभी पेरिस जाने का मौक़ा मिला, तो इस कुम की धूल शीरा पर अवश्य चढ़ाऊँगा। इधर जब