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पंडित मदन मोहन मालवीय

1861 - 1946 | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

पंडित मदन मोहन मालवीय की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 2

यदि आप विद्वान हैं, बलवान हैं और धनवान हैं तो आपका धर्म यह है कि अपनी विद्या, धन और बल को भी देश की सेवा में लगाओ। उनकी सहायता करो जो तुम्हारी सहायता के भूखे हैं। उनको योग्य बनाओ जो अन्यथा अयोग्य ही बने रहेंगे। जो ऐसा नहीं करते, वे अपनी योग्यता का उचित प्रयोग नहीं करते।

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जो देशवासी अपनी मातृभूमि की गुरुता को भली भाँति समझ लें, उनमें धर्मवेद और वर्णवेद रहते हुए भी एकता का अभाव नहीं पाया जाएगा।

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