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लाला हरदयाल

1886 - 1939 | नई दिल्ली, दिल्ली

अमेरिका-जर्मनी में सक्रिय रहे भारतीय क्रांतिकारी, लेखक और चिंतक। 'ग़दर पार्टी' और 'बर्लिन समिति' के संयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

अमेरिका-जर्मनी में सक्रिय रहे भारतीय क्रांतिकारी, लेखक और चिंतक। 'ग़दर पार्टी' और 'बर्लिन समिति' के संयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

लाला हरदयाल की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 11

हमारी आँखें हैं, इस कारण अंधों के प्रति हमारा कुछ कर्तव्य है। हम अपनी आँखें दिन में एक बार, सप्ताह में एक बार या महीने में एक बार कुछ देर के लिए उन्हें उधार दे दें।

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निस्संदेह मैं तो हिंदू युवकों को वीरों और हुतात्माओं के उस गौरवमय पागलखाने में प्रविष्ट कराना चाहता हूँ जहाँ त्याग को लाभ, ग़रीबी को अमीरी और मृत्यु को जीवन समझा जाता है। मैं तो ऐसे पक्के और पवित्र पागलपन का प्रचार करता हूँ। पागल! हाँ, मैं पागल हूँ। मैं ख़ुश हूँ कि मैं पागल हूँ।

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समस्त अत्याचारी सरकारें एक दूसरे का उपकार करने के लिए सदा तैयार रहती ही हैं।

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कृपया सदैव मुझे प्रेमपूर्वक पत्र लिखिए क्योंकि मैं 'मित्रविहीन निर्जन प्रदेश' में हूँ, अकेला हूँ और जो मुझसे प्रेम करते हैं, उनके पत्र मुझे वरदान तुल्य हैं।

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केवल साहित्यिक कृतियाँ व्यर्थ हैं। कार्यकर्ता उस प्रकार से नहीं बनाए जा सकते। भारत के आर्थिक इतिहासों से सद्गुण नहीं जगाए जा सकते।

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