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ईश्वर कृष्ण

ईश्वर कृष्ण की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

जिस प्रकार नर्तकी रंगशाला के दर्शकों को नृत्य दिखाकर नृत्य से निवृत्त हो जाती है, उसी प्रकार प्रकृति भी पुरुष को आत्मा का साक्षात्कार कराके निवृत्त हो जाती है।

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