Font by Mehr Nastaliq Web

कुंठा पर गीत

कुंठा मानसिक ग्रंथि

अथवा निराशाजन्य अतृप्त भावना या ‘फ़्रस्ट्रेशन’ है। स्वयं पर आरोप में यह ग्लानि या अपराध-बोध और अन्य पर दोषारोपण में ईर्ष्या या चिढ़ का द्योतक भी हो सकता है। मन के इस भाव को—इसके विभिन्न अर्थों में कविता अभिव्यक्त करती रही है।

विषाद

जयशंकर प्रसाद

संबंधित विषय

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए