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पाघ न बांधां पिलंग न पोढ़ां
पाघ न बांधां पिलंग न पोढ़ां, इण खोटै संसारूं।अंजन छोड निरंजन ध्यावां, हुय ध्यावां हुसियारूं।
जसनाथ
जहि मण पवण ण संचरइ
जहि मण पवण ण संचरइ, रवि−ससि णाहिं पवेस॥तहि बढ चित्त विसाम करु, सरहें कहिअ उएस॥
सरहपा
ना वह रीझै जप तप कीन्हें
ना वह रीझै जप तप कीन्हें, ना आतम को जारे।ना वह रीझे धोती टांगे, ना काया के पखारे॥
मलूकदास
हरि पथ चलहु न साँझ सबेरौ
हरि पथ चलहु न साँझ सबेरौ।ब्याल सुकाल उलूक लागि हैं आलस होत अबेरौ॥
बिहारिनिदेव
गुमानी घन! काहे न बरसत पानी
गुमानी घन! काहे न बरसत पानी!सूखे सरोवर उड़ि गए हंसा, कमल बेलि कुम्हलानी॥
कुंभनदास
भजन भावना होय न परसी
भजन भावना होय न परसी, प्रेम नहीं उर कपटी।कुआँ पर्यौ आकाश उड़त खग, ताकों करत जु झपटी॥
चाचा हितवृंदावनदास
जसोदा, तेरे भाग्य की कही न जाय
जसोदा, तेरे भाग्य की कही न जाय।जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ सो प्रगटे हैं आय॥
परमानंद दास
निदंक मारिये त्रास न कीजै
निदंक मारिये त्रास न कीजै।नाहिन दोष सुनहु नंदनंदन आपुन मधुपुरी लीजै॥
परमानंद दास
व्याकुल बार न बांधति छूटे
व्याकुल बार न बांधति छूटे।जबतें हरि मधुपुरी सिधारे उरके हार रहत सब टूटे॥
परमानंद दास
वृंदावन रस काहि न भावै
वृंदावन रस काहि न भावै।बिटप वल्लरी हरी हरी त्यों गिरिवर जमुना क्यों न सुहावै॥
जुगलप्रिया
मानिनी ऐतो मान न कीजे
मानिनी ऐतो मान न कीजे।ये जोबन अंजलि की जल ज्यो जब गोपाल मांगे तब दीजै॥