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सुन्दर बिरहनि अध जरी
सुन्दर बिरहनि अध जरी, दुःख कहै मुख रोइ।जरि बरि कै भस्मी भई, धुंवा न निकसै कोइ॥
सुंदरदास
प्रीतम की जीवन जरी
प्रीतम की जीवन जरी, रसिकन की सुर धेनु।भक्त अनन्यन की लता, सुर तरु सिय पदरेनु॥
युगलान्यशरण
जाव भलै जरि जरति जो
जाव भलै जरि, जरति जो, उरध उसाँसनि देह।चिरजावौ तनु रमतु जो, प्रलय-अनलु कै गेह॥
वियोगी हरि
जरि अपमान अँगार तें
जरि अपमान-अँगार तें, अजहुँ जियत ज्यौं छार।क्यों न गर्भ तें गरि गिर्यौ, निलज नीच भू-भार॥
वियोगी हरि
देह जरै दुख होत है
देह जरै दुख होत है, ऊपर लागै लौंन।ताहू तें दु:ख दुष्ट कौ, सुंदर मानै कौंन॥
सुंदरदास
सुन्दर नख सिख पर जरै
सुन्दर नख सिख पर जरै, छिन-छिन दाझै देह।बिरह अग्नि तबही बुझै, जब बरषै पिय मेह॥
सुंदरदास
जरै सु नाथ निरंजन बाबा
जरै सु नाथ निरंजन बाबा, जरै सु अलख अभेव।जरै सु जोगी सब की जीवनि, जरै सु जग में देव॥
दादू दयाल
जल सूकै पुहमी जरै
जल सूकै पुहमी जरै, निसि यामें कृस होत।ग्रीषम कूँ ढूँढत फिरै, घन लै बिजुरी जोत॥
जसवंत सिंह
सिंह मांहिं है सिंह
सिंह मांहिं है सिंह सौ, स्याल मांहिं पुनि स्याल।जैसी घट उनहार है, सुन्दर तैसौ ख्याल॥
सुंदरदास
कामधेनु घट घीव है
कामधेनु घट घीव है, दिन-दिन दुरबल होइ।गोरू ज्ञान न ऊपजै, मथि नहिं खाया सोइ॥