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जब-जब वै सुधि कीजियै
जब-जब वै सुधि कीजियै, तब-तब सब सुधि जाँहि।आँखिनु आँखि लगी रहैं, आँखें लागति नाहि॥
बिहारी
झूलत जोर हिंडोर जब
झूलत जोर हिंडोर जब, चढ़ि अंबर-बिच जायँ।तड़ित-मुदिर-महँ मिलि रहे, लली-लाल न लखायँ॥
मोहन
जब-जब मेरे चित्त चढ़ैं
जब-जब मेरे चित्त चढ़ैं, प्रीतम प्यारे लाल।उर तीखे करवत ज्यूँ, बेधत हियो जमाल॥
जमाल
सुन्दर देह हलै चलै
सुन्दर देह हलै चलै, जब लगि चेतनि लाल।चेतनि कियौ प्रयान जब, रूसि रहै ततकाल॥
सुंदरदास
देह सुरंगी तब लगें जब
देह सुरंगी तब लगें, जब लगि प्राण समीप।जीव जाति जाती रही, सुंदर बिदरंग दीप॥
सुंदरदास
सर्प तजै जब कंचुकी
सर्प तजै जब कंचुकी, वा दिसि देषै नांहिं।सुन्दर संमुझै आतमा, भिन्न रहै तनु मांहिं॥
सुंदरदास
सुन्दर जब पतिब्रत गयौ
सुन्दर जब पतिब्रत गयौ, तब खोई सपतंग।मांनहुं टीका नील कौ, बिप्र दियौ निज अंग॥
सुंदरदास
सुन्दर फेरै सांगि जब
सुन्दर फेरै सांगि जब, होइ जाइ बिकराल।सनमुख बाहै ताकि करि, मारौ मीर मुछाल॥
सुंदरदास
लह्यों प्रेम जब जानिये
लह्यों प्रेम जब जानिये, विरह विकल तम दीन।कुछ न कहूँ सुहाय छिनु, दुति पे होई अधीन॥
दयाराम
जब दस बीस पचास सौ
जब दस बीस पचास सौ, सहस्य लाख पुनि कोरि।नील पदम संख्या नहीं, सुन्दर त्यौं-त्यौं थोरि॥
सुंदरदास
जब मन देखै जगत कौं
जब मन देखै जगत कौं, जगत रूप यह जाइ।सुन्दर देषै ब्रह्म कौं, तब मन ब्रह्म समाइ॥
सुंदरदास
जब लगि विरह न उपजे
जब लगि विरह न उपजे, हिये न उपजे प्रेम।तब लगि हाथ न आवहिं धरम किये व्रत नेम॥
दरिया (बिहार वाले)
चंद्र ग्रहण जब होत है
चंद्र ग्रहण जब होत है, दुनी देत है जमाल।विरहिण लोंग ज देत है, कारण कोण जमाल॥
जमाल
सुन्दर सद्गुरु जब मिल्या
सुन्दर सद्गुरु जब मिल्या, पड़दा दिया उठाइ।ब्रह्म घौंट महि सकल जग, चित्राम दिखाइ॥
सुंदरदास
कपटौ जब लौं कपट नहिं
कपटौ जब लौं कपट नहिं, साँच बिगुरदा धार।तब लौं कैसे मिलैगौ, प्रभु साँचौ रिझवार॥
रसनिधि
चित सुंचित जब मिले
चित सुंचित जब मिले, तब तन थंडा होय।तुका मिलना जिन्ह सूं, ऐसा बिरला कोय॥
संत तुकाराम
लिखन चहत रसलीन जब तुब
लिखन चहत रसलीन जब, तुब अधरन की बात।लेखानि की विधि जीभ बँधि, मधुराई ते जात॥