Font by Mehr Nastaliq Web

जब देखौ तब भलन तैं

jab dekhau tab bhalan tain

रसनिधि

रसनिधि

जब देखौ तब भलन तैं

रसनिधि

और अधिकरसनिधि

    जब देखौ तब भलन तैं, सजन भलाई होहि।

    जारै-जारै अगर ज्यौं, तजत नहीं खस बोहि॥

    भले पुरुषों से सज्जनों की भलाई ही होती है। जैसे कि अगर को जलाया जाए तो उससे सुगंध ही आती है वह जलने पर भी अपनी सुगंधि को नहीं छोड़ता। इसी प्रकार सज्जन कष्ट सहकर भी दूसरों का उपकार करते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुष्प-पराग (पृष्ठ 288)
    • संपादक : टेकचंद शास्त्री
    • रचनाकार : रसनिधि
    • प्रकाशन : भारती सदन, दिल्ली
    • संस्करण : 1955

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY