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निरखत अंक स्यामसुंदर के
निरखत अंक स्यामसुंदर के बारबार लावति छाती।लोचन-जल कागद-मसि मिलि कै ह्वै गई स्याम स्याम की पाती॥
सूरदास
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उपन्यास की भारतीय विधा
पश्चिमी शॉर्ट-स्टोरी और भारतीय कथा में ये दो अलग-अलग कालबोध प्रतिबिंबित और परिलक्षित होते हैं। उसका
अज्ञेय
नहिं मृगंक भू अंक यह
नहिं मृगंक भू अंक यह, नहिं कलंक रजनीस।तुव मुख लखि हारो कियो, घसि घसि कारो सीस॥
रसलीन
लेखक
जीवन या यथार्थ को जब तक रचने का भाव लेखक में नहीं होगा, तब तक उस लिखने का कोई अर्थ ही नहीं है।
श्रीनरेश मेहता
मुझसे कहीं अधिक
मुझसे कहीं अधिक प्रतिभाशाली लेखक में भी बहुत थोड़ी ही प्रतिभा होगी।
लुडविग विट्गेन्स्टाइन
सच्चा लेखक
सच्चा लेखक जितनी बड़ी ज़िम्मेदारी अपने सिर पर ले लेता है, स्वयं को उतना अधिक तुच्छ अनुभव करता है।
गजानन माधव मुक्तिबोध
लेखक
ज्ञानरंजन
कुछ रंग अपने
कुछ रंग अपने अंक में एक दूसरे को समेट लेते हैं, वहीं कुछ सिर्फ़ एक दूसरे से हमेशा बैर-भाव रखते हैं।
चारि के अंक-सी लंक बिराजति
श्रीपति
लेखक
लेखक रचता है इसीलिए वह कथा-सृष्टा है, मात्र प्रस्तुत नहीं करता इसीलिए वह कथा-वाचक नहीं है।
श्रीनरेश मेहता
कोमल कपोल निवि ढंकन के अंक देषो
कोमल कपोल निवि ढंकन के अंक देषो,शीश कंज बिंद को शशंक वारि दीजियै।