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मुझमें न भगवान् का प्रेम है
चैतन्य महाप्रभु
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मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा?
मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा?स्तब्ध, दग्ध मेरे मरु का तरु
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
कटहल के फूलों को लहरों ने रोका था
होता है, तुम को इस का कुछ भी नहीं पता।’‘बड़ों ने कहा था, बोलो जब कोई पूछे’—
त्रिलोचन
वहाँ कोई न था
धरती के अंदर बहती नदियों का कोई सागर नहीं थाउनके व्यवहार को समझा जाता था समलैंगिक
डॉ. अजित
न तो प्रवृत्तियों को छिपाना उचित है
न तो प्रवृत्तियों को छिपाना उचित है, न उनसे डरना कर्तव्य है और न लज्जित होना युक्तियुक्त है।
हजारीप्रसाद द्विवेदी
ताहि न बाघ भुजंगम को भय
ताहि न बाघ भुजंगम को भय, पानि न बोरै न पावक जालै।ताके समीप रहैं सुर किन्नर, सो शुभ रीत करै अघ टालै॥
बनारसीदास
न रूप, गौरव का कारण होता है
न रूप, गौरव का कारण होता है और न कुल। नीच हो या महान उसका कर्म ही उसकी शोभा बढ़ाता है।
भास
कोई आदमी
कोई आदमी सतर्क न रहने पर क्या करता है, यह इस बात का सबसे अच्छा सबूत है कि वह किस तरह का आदमी है।
सी. एस. लुईस
आपै नो आपु मिली रहिआ
आपै नो आपु मिली रहिआ, हउमै दुविधा मारि।नानक नामि रते दुतरु तरे, भउ जलु विषमु संसारु॥