राम को नाम जपो निसि-बासर

ram ko nam japo nisi basar

पद्माकर

पद्माकर

राम को नाम जपो निसि-बासर

पद्माकर

और अधिकपद्माकर

    राम को नाम जपो निसिबासर, राम ही को इक आसरो भारो।

    भूलो भूल की भीरन में, ‘पद्माकर’ चाहि चितौनि को चारो।

    ज्यों जल में जलजात के पात, रहै जग में त्यों जहान तें न्यारो।

    आपने-सो सुख दुख दौरि जु, और को देखै सु देखन हारो॥

    सभी लोग रात-दिन श्रीराम के नाम का ही जप करें; क्योंकि इस संसार में श्रीराम का ही सबसे बड़ा सहारा है। भूलों की भीड़ में भी राम का नाम नहीं भूलना चाहिए। कवि पद्माकर कहते हैं कि भगवान श्रीराम की कृपा-दृष्टि की ही सदा इच्छा करनी चाहिए। जिस प्रकार पानी में रहकर भी कमल का पत्ता पानी पर आश्रित रहकर उससे भिन्न ऊपर रहता है, उसी प्रकार हमें संसार में रहते हुए भी संसार से विरक्त रहना चाहिए। इस संसार में भगवान श्रीराम के अतिरिक्त और कौन ऐसा देखने वाला है जो औरों के सुख-दुःख को अपने सुख-दुःख के समान ही समझकर सहायता के लिए दौड़ पड़ते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पद्मावत पंचामृत (पृष्ठ 225)
    • संपादक : विश्वनाथप्रसाद मिश्र
    • रचनाकार : पद्माकर
    • प्रकाशन : श्री रामरत्न पुस्तक भवन, काशी
    • संस्करण : 1992

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