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पद्माकर

1753 - 1833 | बाँदा, उत्तर प्रदेश

रीतिकाल के अंतिम प्रसिद्ध कवि। भाव-मूर्ति-विधायिनी कल्पना और लाक्षणिकता में बेजोड़। भावों की कल्पना और भाषा की अनेकरूपता में सिद्धहस्त कवि।

रीतिकाल के अंतिम प्रसिद्ध कवि। भाव-मूर्ति-विधायिनी कल्पना और लाक्षणिकता में बेजोड़। भावों की कल्पना और भाषा की अनेकरूपता में सिद्धहस्त कवि।

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हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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