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मगन हुआ मन गुरु भगती धार

magan hua man guru bhagti dhaar

संत शिवदयाल सिंह

अन्य

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संत शिवदयाल सिंह

मगन हुआ मन गुरु भगती धार

संत शिवदयाल सिंह

और अधिकसंत शिवदयाल सिंह

    मगन हुआ मन गुरु भगती धार।

    जगत भोग से कर बैरागा, गुरु परसादी मिला अधार॥

    आसा मनसा जग की छोड़ी, गुरु चरनन में लागा प्यार।

    गुरु बिस्वास धार अब चित में, करम धरम सब दिये निकार॥

    चरन सरन गुरु दई मेहर से, अपना कर लिया मोहि सुधार।

    राधास्वामी चरन अब बसे हिये में, नित रहूँ मैं चरन सम्हार॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रेमप्रकाश (पृष्ठ 8)
    • रचनाकार : राधास्वामी सहाय
    • प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग इलाहाबाद

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