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जवाहरलाल नेहरू के उद्धरण

ज़िंदगी इतनी सस्ती हो गई है कि कुछ हत्यारों को मौत की सज़ा देने या न देने से कोई बहुत बड़ा फ़र्क़ नहीं पड़ता। कभी-कभी सोचना पड़ता है कि क्या ज़िंदा रहने का दंड सबसे कड़ा दंड नहीं है।