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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

युगजीवन के संदर्भों में प्राचीन जीवनमूल्यों, मान्यताओं और आदर्शों के असमर्थ, अनुपयोगी और अनावश्यक होने पर, नवीन जीवनमूल्यों और आदर्शों की स्थापना होती है।