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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

यों तो पूरा महाभारत ही मनुष्यों के गहरे संकटों से गुजरने और उनसे उबरने की महागाथा है, पर उसका द्यूतपर्व ऐसा महाख्यान है, जिसमें पुरुष समाज के बीच, पुरुष के कारण और पुरुषों के द्वारा अत्यंत दारुण स्थिति में पहुँचा दी गई स्त्री, अपनी शास्त्रार्थ की प्रतिभा के द्वारा पुरुष की सत्ता को ज़बरदस्त चुनौती देती है।