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वेदव्यास के उद्धरण

योगभ्रष्ट मनुष्य पुण्यवानों के लोकों को प्राप्त होकर और उनमें बहुत वर्षों तक वास करके शुद्ध आचरण वाले श्रीमान पुरुषों के घर में जन्म लेता है अथवा बुद्धिमान योगियों के कुल में जन्म लेता है।