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हजारीप्रसाद द्विवेदी के उद्धरण

यथार्थवाद भले की उपेक्षा करके बुरे के चित्रण को नहीं कहा जा सकता, फिर वह चित्रण कितना भी यथार्थ क्यों न हो। इसी प्रकार उस चीज़ को आदर्शवाद नहीं कह सकते जो केवल रूढ़ि समर्पित सदाचार के उपदेश का नामांतर है।