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वेदव्यास के उद्धरण

यज्ञ के लिए किए जाने वाले कर्मों के अतिरिक्त अन्य कर्मों में लगने से ही मनुष्य कर्मों से बँधते हैं। अतः हे अर्जुन! तू आसक्ति से रहित होकर यज्ञार्थ ही भली भाँति कर्म कर।