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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

यदि मानव का स्वभाव इतना अधिक पेचीदा नहीं होता, बल्कि भेड़ियों के किसी दल की तरह सरल होता, तो आज लुटेरों के दलों ने सारी धरती को ही रौंद डाला होता।

अनुवाद : साैमित्र मोहन