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फ़्रेडरिक नीत्शे के उद्धरण

विवेक का तक़ाज़ा है कि हम बेपरवाह हों; अवहेलना और उग्रता करने वाले बनें, क्योंकि मानवीय विवेक एक स्त्री के समान है जो योद्धा के अतिरिक्त और किसी को प्रेम नहीं करती।

अनुवाद : पंकज प्रखर