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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

विश्वविद्यालय को मस्तिष्क का स्थान देकर, देश के समस्त शरीर में स्नायुतंत्र को प्रेरणा देनी होगी।

अनुवाद : विश्वनाथ नरवणे