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जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

विचार सुख की खोज करता है और इस प्रकार यह हमें अतिभोग की ओर ले जाता है। यह अतिभोग ज़रूरत से ज़्यादा खाने का हो या कामवासना में लिप्त रहने का—विचार शरीर को किसी काम को करने के लिए बाध्य करता है।