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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

वाल्मीकि ने स्त्री के भार्या, पोष्या या रक्षणीया होने की प्रतिमा के समानांतर; सीता की तेजस्वी प्रतिमा स्थापित की, जो अपने ही तेज से रक्षित थी।