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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

वहाँ एक नीम का लंबा-चौड़ा पेड़ था जो बहुत-से बुद्धिजीवियों की तरह दूर-दूर तक अपने हाथ-पाँव फैलाए रहने पर भी तने में खोखला था।