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वेदव्यास के उद्धरण

विद्या, शूरवीरता, दक्षता, बल और धैर्य—ये पाँच मनुष्य के स्वाभाविक मित्र बताए गए हैं। विद्वान् पुरुष इनके द्वारा ही जगत् के कार्य करते हैं।