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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

उन्हें देखकर इस फ़िलासफ़ी का पता चलता था कि अपनी सीमा के आस-पास जहाँ भी ख़ाली ज़मीन मिले, वहीं आँख बचाकर दो-चार हाथ ज़मीन घेर लेनी चाहिए।