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गुरु नानक के उद्धरण

उच्च जाति और नाम का अहंकार व्यर्थ है, वास्तव में सभी जीवों में एक ही ईश्वर रूपी वृक्ष की छाया का सुख उपलब्ध है—सबकी आत्मा एक ही है।