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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

तुम्हें खाने-पीने पहनने-ओढ़ने का कष्ट तभी तक है जब तक कि जनता हो और अगर तुम इन कष्टों से छुटकारा चाहते हो तो जनतापन छोड़कर बड़प्पन हथियाने की कोई तरकीब निकालो।