तुम्हारे ज्ञान की क़ीमत तुम्हारे कामों से होगी। सैंकड़ों किताबें दिमाग़ में भर लेने से कुछ लाभ मिल सकता है किंतु उसकी तुलना में काम की क़ीमत कई गुना ज़्यादा है। दिमाग़ में भरे हुए ज्ञान की क़ीमत उसके अनुसार किए गए काम के बराबर ही है। बाक़ी का सब ज्ञान दिमाग़ के लिए व्यर्थ का बोझ है।