Font by Mehr Nastaliq Web

रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

तुम जो हो तुम उसे नहीं देखते, तुम उसे देखते हो जो तुम्हारी परछाईं है।

अनुवाद : गार्गी मिश्र

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए