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वेदव्यास के उद्धरण

तात! जिसके प्रति किया हुआ उपकार उसका बदला चुकाए बिना नष्ट नहीं होता, वही पुरुष है। दूसरा मनुष्य उसके प्रति जितना उपकार करे, वह उससे भी अधिक उस मनुष्य का प्रत्युपकार कर दे।