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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

सूर का मत है कि प्रेम से संसार की स्थिति है, क्योंकि सारा संसार प्रेम के सूत्र में आबद्ध है। प्रेम पुरुषार्थ है, धर्म साधना का साध्य और साधन दोनों हैं।