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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

स्त्रियों का यह जन्मसिद्ध अधिकार है। मंगल! उसे खोजिना, परखना नहीं होता, कहीं से ले आना नहीं होता। वह बिखरा रहता है असावधानी से —धनकुबेर की विभूति के समान! उसे सम्हालकर केवल एक और व्यय करना पड़ता है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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