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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

सिर्फ़ कूँ-कूँ करके कोई कुत्ता एक देश नहीं बन सकता, जैसे कि कोई देश दिन-रात निकम्मेपन और कूँ-कूँ करने का अभ्यास करके भी कुत्ता नहीं हो सकता।