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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

वे भाग्यशाली थे जो जंगलों में रहते थे और ग्रंथ-रचना जिनकी जीवन-प्रक्रिया का अंतर्निहित और प्राथमिक अंग थी।