कृष्ण कुमार के उद्धरण
शब्द और कर्म की दूरी भी पाखंड का प्रतीक रही है। ऐसे जुमले भी लोकप्रिय हैं, जैसे उन्होंने शाब्दिक सहानुभूति जताई। शब्दों को लेकर इतने पूर्वाग्रह ऐसे युग में कुछ हैरानी पैदा करते हैं जो शब्द बहुल हैं और जब शब्द व्यापार विश्व की आर्थिक समृद्धि का एक बड़ा साधन ही नहीं, हिस्सा भी बन चुका है। इस युग में भी शब्दों के प्रति पूर्वाग्रह के बने रहने का एक कारण यह है कि यह युग कर्म-बहुल भी है और कर्म की दृष्टि से अतिवादी भी।
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