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वेदव्यास के उद्धरण

सर्वतः परिपूर्ण जलाशय के प्राप्त होने पर छोटे जलाशय में मनुष्य का जितना प्रयोजन रहता है, उतना ही प्रयोजन ब्रह्मज्ञानी तत्त्वज्ञ का सब वेदों में रहता है।