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यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

सार्वजनिक जीवन रहना चाहिए। वाच्यार्थ स्पष्ट रहना चाहिए। ध्वन्यार्थ भी स्पष्ट रहना चाहिए। लेकिन आज के कई राजनीतिज्ञों में 'शर्म' जैसी नैतिक भावना ही नहीं है।