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पॉलो फ़्रेरा के उद्धरण

सार्त्र ने लिखा है : जब व्यक्ति की चेतना सुषुप्त अवस्था में होती है, तो उसके लिए बाहरी दुनिया भी सोई होती है।

अनुवाद : रमेश उपाध्याय