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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

संस्कृत के पुराने कवि, टकसाली बातें कहने के शौक़ीन हुआ करते थे। उन बातों को आज कहावत कहा जाएगा, तब सुभाषित कहा जाता था। उनमें से एक प्रसिद्ध सुभाषित है, ‘उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी’। यानी, लक्ष्मी उद्योगी पुरुषसिंह के ही पास जाति है।