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जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

समाज के भीतर परिवर्तन का गौण महत्व है; इसका आगमन अनिवार्यत: सहज रूप से होगा, जब एक मानव के रूप में आप स्वयं अपने भीतर यह परिवर्तन ले आएँगे।