Font by Mehr Nastaliq Web

श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

साहित्यकार के प्रति स्वाभाविक सहानुभूति होने के बावजूद, मुझे उसकी ग़रीबी का अनावश्यक गरिमा-मंडन अप्रिय लगता रहा है।