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अज्ञेय के उद्धरण

साहित्य तुम्हारी तुम्हीं से पहचान और गहरी करता है : तुम्हारी संवेदना की परतें उधेड़ता है जिससे तुम्हारा जीना अधिक जीवंत होता है और यह सहारा साहित्य दे सकता है; उससे अलग साहित्यकार व्यक्ति नहीं।