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यशपाल के उद्धरण

सच को कल्पना से रंगकर उसी जन-समुदाय को सौंप रहा हूँ जो सदा झूठ में ठगा जाकर भी सच के लिए अपनी निष्ठा और उसकी ओर बढ़ने का साहस नहीं छोड़ता।