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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

सभी जानते हैं कि हमारे कवि और कहानीकार वास्तव में दार्शनिक हैं और कविता या कथा-साहित्य तो वे सिर्फ़ यूँ ही लिखते हैं।