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भामह के उद्धरण

रमणी के नयनों में लगे काले अंजन के समान कभी-कभी आश्रय (आधार) के सौंदर्य के कारण भी दोष शोभा को धारण कर लेता है।

अनुवाद : रामानंद शर्मा