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रामधारी सिंह दिनकर के उद्धरण

संसार में आनन्द के साधन अनेक हैं, किन्तु केवल आनन्द भोगकर, केवल खिलौनों से जी बहलाकर—मर जाना यथेष्ट नहीं है।