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रामधारी सिंह दिनकर के उद्धरण

मनुष्य का मानवीय व्यक्तित्व तब आरम्भ होता है, जब वह ऐसे कार्य करने लगता है, जिनका जैव आवश्यकता की दृष्टि से कोई ख़ास उपयोग नहीं है